भगवान ने इस पृथ्वी पर आठ देवरूपी योगियों और महापुरुषों को उनकी
तपस्या, साधना और भक्तिभाव से प्रसन्न होकर अजर- अमर रहने का वरदान दिया।
माना जाता है कि ये हमेेशा पृथ्वी पर मौजूद रहते हैं और याद करने पर तुरंत
ही मदद करते हैं। ये अजर अमर देव हैं श्री हनुमान,अश्वत्थामा, श्री
परशुराम, ऋषि मार्कंडेय, कृपाचार्य, विभीषण, वेद व्यास और राजा बलि। इनमें
से परशुराम और ऋषि मार्कंडेय ने जबलपुर के त्रिपुरी तीर्थ में नर्मदा
किनारे तपस्या की थी। जबकि पुराणों में श्री हनुमान के भी प्रभु श्रीराम के
साथ यहां आने का उल्लेख किया गया है।
1-श्री हनुमान
भगवान
ने अंजनी पुत्र श्री हनुमान की भक्ति और सेवा भाव से प्रसन्न होकर उन्हें
अजर-अमर होने का वरदान दिया और पृथ्वी पर निवास करने को कहा। श्री हनुमान
की मौजूदगी रामायण और महाभारत काल दोनों में पाई गई है। रामायण में हनुमान
जी ने प्रभु राम की मदद की थी और महाभारत में श्रीकृष्ण के साथ अर्जुन के
रथ के शीर्ष पर ध्वज के साथ विराजमान रहे। एक अवसर पर उन्होंने भीम के घमंड
को तोड़ा था। कहा जाता है कि सीता माता ने हनुमान को अशोक वाटिका में राम
का संदेश सुनाने पर वरदान दिया था की वे सदैव अजर-अमर रहेंगे। अजर-अमर का
अर्थ है की उनकी कभी मृत्यु नहीं होगी और कभी बूढ़े नहीं होंगे। श्रीहनुमान
आज भी इस धरती पर विचरण करते हैं। इतना ही नहीं उनकी ज्यादातर मूर्तियां
अनगढ़ मिलती हैं क्योंकि मूर्ति तैयार करते समय उसमें इतना तेज आ जाता है
कि ज्यादातर मूर्तिकार उसे पूरा नहीं कर पाते।
2- अश्वत्थामा
अश्वत्थामा
गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हंै । अश्वत्थामा ने सोते हुए पांडवों के
पुत्रों की हत्या की थी जिस कारण भगवान कृष्ण ने उन्हें कालांतर तक अपने
पापों के प्रायश्चित के लिए इस धरती में ही भटकने का श्राप दिया था।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र और अन्य तीर्थ में उनके दिखाई दिए जाने के दावे
किये जाते हंै । मध्यप्रदेश के बुराहनपुर में उनके दिखाई दिए जाने की बात
कही जाती है। उनके मस्तिष्क में अमरमणि थी जो निकाल ली गई। उस स्थान पर हुआ
घाव रिसता रहता है।
3- ऋषि मार्कंडेय
ये
भगवान शिव के परम भक्त हैं। उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की और
महामृत्युंजय मंत्र को सिद्ध कर मृत्यु पर विजय पा ली और चिरंजीवी हो गए।
4- भगवान परशुराम
परशुराम
भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि थे
और माता का नाम रेणुका था। परशुराम का पहले नाम राम था । वे शिव के परम
भक्त थे। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें एक फरसा
दिया जिस कारण उनका नाम परशुराम पड़ा।
5- कृपाचार्य
कृपाचार्य
शरद्वान गौतम के पुत्र हैं। कृपाचार्य कौरवों के कुलगुरु तथा अश्वत्थामा
के मामा थे। उन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ दिया था।
6- विभीषण
विभीषण
ने भगवान राम की महिमा जान कर युद्ध में अपने भाई रावण का साथ छोड़ प्रभु
राम का साथ दिया। श्रीराम ने विभीषण को अजर-अमर रहने का वरदान दिया ।
7- वेद व्यास
व्यास
ने महाभारत जैसे प्रसिद्ध काव्य की रचना की। उनके द्वारा समस्त वेदों एवं
पुराणों की रचना की गई। वेद व्यास, ऋ षि पाराशर और सत्यवती के पुत्र हैं।
वेदव्यास भी अष्ट चिरंजीवियों में शामिल हैं।
8- राजा बलि
राजा
बलि को महादानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भगवान विष्णु के वामन
अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया अत: भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल का
राजा बनाया और अमरता का वरदान दिया। राजा बलि प्रह्लाद के वंशज हैं।
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